पेइचिंग। पाकिस्तान के हिंसा प्रभावित खैबर पख्तूनख्वां प्रांत (केपीके) में चीन के इंजीनियरों को ले जा रही बस पर हुए भीषण बम हमले में अब तक 9 चीनी नागरिक और तीन पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं। इस हमले से चीन सदमे हैं। चीनी प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने इमरान सरकार से मांग की कि मामले की कड़ाई से जांच कर हमले के दोषियों को अरेस्ट किया जाए और ईमानदारी के साथ चीन के नागरिकों और प्रॉजेक्ट की रक्षा की जाए। पाकिस्तान ने पहले इस घटना को एक हादसा बताकर छिपाने का प्रयास किया लेकिन चीनी दूतावास ने इस बात की पुष्टि की है कि यह बम हमला था। पाकिस्तान के गृहमंत्री शेख रशीद जल्द ही इस घटना पर बयान दे सकते हैं। उल्लेखनीय है कि चीन अरबों डॉलर की सीपीईसी योजना के तहत पाकिस्तान में कई परियोजनाओं को अंजाम दे रहा है। स्थानीय लोग चीन की इन परियोजनाओं का विरोध कर रहे हैं।
पाकिस्तान सरकार ने एक उच्च स्तरीय दल को ऊपरी कोहिस्तान रवाना कर दिया है। इन सभी इंजीनियरों को स्थानीय पनबिजली परियोजना के निर्माण के लिए ले जाया जा रहा था। पाकिस्तान सरकार ने दावा किया है कि चीनी नागरिकों की रक्षा के लिए बड़े पैमाने पर सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। उसने कहा कि सभी घायलों को हेलिकॉप्टर से अस्पताल ले जाया गया है। बताया जा रहा है कि यह हमला सुबह 7:30 बजे हुआ। कुछ महीने पहले ही क्वेटा में विद्रोहियों ने चीन के राजदूत को निशाना बनाते हुए एक होटल को विस्फोटकों से उड़ा दिया था। विद्रोहियों को सूचना मिली थी की चीनी राजदूत क्वेटा के सेरेना होटल में ठहरे हुए हैं। हालांकि, हमले के समय वे इस होटल में मौजूद नहीं थे। इस धमाके में कम से कम पांच लोग मारे गए थे।
होटल पर हुए हमले का शक उस इलाके में सक्रिय बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी पर जताया गया था। इस संगठन ने पहले भी चीन के अधिकारियों और कर्मचारियों पर कई हमले किए हैं। पिछले साल कराची स्टॉक एक्सचेंज पर हुए हमले में भी इसी संगठन का हाथ बताया जाता है। पाकिस्तानी सेना ने साल 2006 में परवेज मुशर्रफ के इशारे पर बलूचिस्तान के सबसे प्रभावशाली नेता नवाब अकबर बुगती की हत्या कर दी थी। मुशर्रफ को उनकी हत्या के मामले में साल 2013 में गिरफ्तार भी किया गया था। मुशर्रफ ने उस समय अपने बचाव में कहा था कि ये नेता तेल और खनिज उत्पादन में होने वाली आय में हिस्सेदारी की मांग कर रहे थे। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने हमेशा से चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर का विरोध किया है। कई बार इस संगठन के ऊपर पाकिस्तान में काम कर रहे चीनी नागरिकों को निशाना बनाए जाने का आरोप भी लगे हैं। आरोप हैं कि पाकिस्तान ने बलूच नेताओं से बिना राय मशविरा किए बगैर सीपीईसी से जुड़ा फैसला ले लिया।