बीजिंग । हाल ही में चीन के शोधकर्ताओं ने जीवाश्मों का अध्ययन करते हुए एक छोटे डायनासोर के बारे में बहुत ही रोचक जानकारी हासिल की है। उन्होंने पाया है कि अल्वारेजसॉर प्रजाति के डायनासोर ने अपने खुराक में बदलाव करते हुए चींटी को खाना शुरू कर दिया था जिसके बाद से उनका आकार तेजी से कम होने लगा था। डायनासोर मुर्गे के आकार तक छोटे हुआ करते थे। बीजिंग में इंस्टीट्यूट ऑफ वर्टिबरेट पेलिओन्टोलॉजी एवं पेलिओएंथ्रोपोलॉजी और ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के पीएचडी छात्र जिचुआन किन की अगुआई में हुए अध्ययन में पाया कि अल्वारेजसॉर डायनासोर ने आज से करीब 10 करोड़ साल पहले चींटियों की खुराक अपनाने के बाद अपना आकार बहुत तेजी से कम करना शुरू कर दिया था।
जिचुन ने इस प्रजाति के डायनासोर के दर्जन भर नमूनों का अध्ययन किया और लाखों साल तक उनके आकार में बदलाव का अध्ययन किया। अल्वारेजसॉर उत्तर ज्यूरासिक काल से लेकर उत्तर क्रिटेशियस काल में रहा करते थे यानि वे 16 करोड़ साल से 7 करोड़ साल पहले के समय में चीन मंगोलिया, और दक्षिण अमेरिका में पाए जाते थे। अपने समय के अधिकांश समय में अल्वारेजसॉर पतले, दो पैरों वाले शिकारी डायनासोर छिपकली, शुरुआती स्तनपायी जीव और शिशु डायनासोर के तौर पर अपनी खुराक लेते थे। नमूनों का अध्ययन करने के दौरान उन्होंने पाया कि 10 से 70 किलो के भार वाले पुराने नमूनों का आकार विशाल टर्की या छोटे शतरमुर्ग के आकार था। अल्वारेजसॉर के उद्भव काल के बाद के समय में नमूनों के आकार एक मुर्गे का हो गया। जिचिन का कहना है कि ऐसा इसलिए हुए क्योंकि वे चींटियां खाने लगे थे। जिचुआन के पर्यवेक्षकों में से एक ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर माइकल बेंटन का कहना है कि खुराक में यह बड़ा बदलाव खाने की बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण हुई होगी। क्रिटेशियल काल में पारिस्थितिकी बहुत तेजी से बदल रही थी और धरती पर फूल वाले पौधे बहुत अधिक मात्रा में पनप रहे थे लेकिन इससे चींटी और दीमक जैसे कई नए तरह के कीट पतंगे पैदा हो गए।
डायनासोर इस तरह के पौधे नहीं खाया करते थे। लेकिन क्रिटेशयस काल के जीवों के खान पर बहुत असर पड़ा और आधुनिक जंगलों आधारित जैवमंडल पैदा होने लगे। इससे पहले मंगोलिया में इस तरह के छोटे अल्वारेजसॉर के अवशेष खोजे गए थे। उस समय भी उनकी खुराक चीटियों पर आधारित थी। यह प्रजाति करीब एक मीटर लंबी थी लेकिन उसका वजन 4-5 किलो था और उसका आकार एक औसत टर्की पक्षी की तरह था। लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि अल्वारेजसॉर ने जब चीटियों को खाना शुरू किया तब वे उतने छोटे नहीं थे। उनके पूर्व रैप्लोशेरस छोट शतुरमुर्ग के आकार के थे। बता दें कि डायनासोर हमेशा से ही कौतूहल का विषय रहे हैं। उन्हें यह नाम उनके विशाल आकार को देखते हुए दिया गया था।