पडोसी देश चीन के रीसर्चर्स ने जताई संभावना
पेइचिंग। पडोसी देश चीन के रीसर्चर्स के ताजा अध्ययन से पता चला है कि ऐसा हो सकता है कि पैंगोलिन वायरस और चमगादड़ वायरस के मिलने से नोवेल कोरोना वायरस पैदा हुआ हो। इस पेपर के बाद वैज्ञानिकों ने इस संभावना को माना है कि कोरोना वायरस सार्स-कोव-2 पैंगोलिन के रास्ते होते हुए अपने अंतिम रूप में पहुंचा है। अध्ययन के मुताबिक सार्स-कोव-2 का जेनेटिक सीक्वेंस सार्स-कोव और रेटजी जी13 (चमगादड़ में पाया जाने वाले कोरोना वायस) से बहुत मेल खाता है। सार्स-कोव- साल 2003 में एक जानवर में पाया गया था। वहीं, मलेशिया के पैंगोलिन में पाए गए कोरोना वायरस में नोवेल कोरोना वायरस के जीन्स के अमीनो एसिड्स 90 से 100 प्रतिशत तक मेल खाते हुए पाए गए हैं। पेपर के मुताबिक पैंगोलिन के कोरोना वायरस के एस प्रोटीन में रिसेप्टर से जुड़ने वाली जगह सार्स-कोव-2 से एकदम समान थी और सिर्फ एक अमीनो एसिड का अंतर था जो ज्यादा अहम नहीं होता है। यह वायरस 25 में से 17 पैंगोलिन में पाया गया था। अभी तक माना जा रहा है कि चमगादड़ों की वजह से कोरोना वायरस फैलना शुरू हुआ है। हालांकि, किसी भी साइंटिफिक स्टडी में यह बात सामने नहीं आई है। इस पेपर में भी यह माना गया है कि चमगादड़ों में कई कोरोना वायरस होते हैं, लेकिन क्या सार्स-कोव-2 दूसरे प्राणियों में भी होता है, इसे लेकर स्थिति साफ नहीं है। वायरस को लेकर आरोप भी लगते रहे हैं कि यह वूहान लैब से लीक हुआ या वूहान बाजार से शहर में और फिर दुनिया में फैल गया। मालूम हो कि कोरोना वायरस दुनिया में कैसे फैला, इसे लेकर कई तरह की थिअरी सामने आ चुकी हैं लेकिन सच का खुलासा अभी तक नहीं हो सका है।