वाशिंगटन। अमेरिका में यह बहस का मुददा बन गया है कि अगर तालिबान जैसे आतंकी संगठन का प्रवक्ता ट्विटर पर एक्टिव अकाउंट चला सकता है, तो फिर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का अकाउंट ट्विटर पर प्रतिबंध क्यों है। अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी के नेता मेडिसन ने ट्वीट कर ये सवाल पूछा है कि ऐसा क्या है कि तालिबान का प्रवक्ता ट्विटर पर अकाउंट चला रहा है लेकिन अमेरिका का पूर्व राष्ट्रपति नहीं चला पा रहा है? अमेरिका की ये बड़ी टेक कंपनियां आखिर किसकी तरफ हैं। इनके अलावा भी कई अन्य नेताओं ने इस मसले को उठाया है। गौरतलब है कि फेसबुक ने पहले ही ऐलान किया था कि वह तालिबान को आतंकी संगठन मानता है, ऐसे में उसके अकाउंट या उसके समर्थकों के अकाउंट बंद कर देगा। हालांकि, ट्विटर ने ऐसा नहीं किया था। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्ला और सुहैल शाहीन लगातार ट्विटर के जरिए तालिबान की सरकार के बयान जारी करते हैं और अन्य जानकारियों को साझा करते हैं।
वहीं अगर डोनाल्ड ट्रंप की बात करें तो अमेरिका में इस साल की शुरुआत में हुई हिंसा के बाद ट्विटर ने डोनाल्ड ट्रंप का अकाउंट बैन कर दिया था। ट्विटर द्वारा आरोप लगाया गया था कि डोनाल्ड ट्रंप अपने ट्विटर अकाउंट के द्वारा हिंसा को उकसा रहे हैं। ट्विटर के साथ-साथ फेसबुक और अन्य कुछ सोशल प्लेटफॉर्म से भी डोनाल्ड ट्रंप को बैन कर दिया गया था। तालिबान इस बार जब सत्ता में आया है, तब उसने तालिबान 2।0 की छवि पेश की है। जहां एक तरफ वह सोशल मीडिया चला रहा है, तो दूसरी ओर लगातार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दुनिया से बात भी कर रहा है। हालांकि, इन सब दावों से इतर तालिबान के राज में अफगानिस्तान की स्थानीय हकीकत कुछ और ही है।