भारत सीमा पर 3 नए एयरबेस बनाएगा चीन, बेनकाब हुआ शी के तिब्बत दौरे का 'असली मकसद'

Updated on 28-07-2021 09:40 PM

बीजिंग। लद्दाख में शांति का राग अलाप रहा चीन अरुणाचल प्रदेश से लेकर हिमाचल प्रदेश तक अपनी धोखेबाजी वाली हरकतों से बाज नहीं रहा है। कुछ दिन पहले ही शी जिनपिंग ने तिब्बत का अचानक दौरा किया था। तब उन्होंने कहा गया था कि उनका दौरा बौद्ध धर्म के साथ बाकी चीन को जोड़ने और बौद्ध संस्कृति की संरक्षण के लिए आयोजित किया गया था। लेकिन, अब शी जिनपिंग के दौरे की असली वजह सामने गया है। तिब्बत में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के नाम पर चीन भारतीय सीमा पर तीन नए एयरपोर्ट स्थापित करने जा रहा है।

इस परियोजना को मंजूरी जिनपिंग ने तिब्बत दौरे के बीच में दी गई। चीन की मंशा पर सवाल इसलिए उठ रहा है, क्योंकि जिन इलाकों में इन तीन एयरपोर्ट का निर्माण किया जाना है, वहां लोगों की आबादी बहुत कम है। दूसरी बात यह है कि दशकों से चीन के सताए हुए ये लोग आर्थिक रूप से इतने मजबूत भी नहीं हैं कि हवाई सफर जैसे महंगे विकल्प का प्रयोग कर पाएं। ये तीनों स्थान भारतीय सीमा से एकदम करीब हैं। ऐसे में युद्ध के समय चीन इन एयरपोर्ट का इस्तेमाल एयरबेस के तौर पर कर सकता है।

वर्षों से यह इलाका विकास के चीनी दावे से बिलकुल अछूता था। ऐसे में भारत से तनाव के बीच ऐसा क्या हुआ, जिसके कारण चीन तेजी से परिवहन प्रणाली को विकसित कर रहा है। चीन तिब्बत के जिन तीन नए इलाकों में एयरपोर्ट बनाने जा रहा है, उनके नाम लुंज़े काउंटी, टिंगरी काउंटी और बुरांग काउंटी है। बड़ी बात यह है कि चीन इन क्षेत्रों में बनने वाले एयरपोर्ट को 2025 के अंत तक शुरू करने जा रहा है। चीन इन एयरपोर्ट्स को मिलिट्री हितों को ध्यान में रखकर डिजाइन करेगा।

यहां कॉमर्शियल फ्लाइट के अलावा चीनी वायु सेना के लड़ाकू विमान, अवॉक्स विमान, एरियल रिफ्यूलर विमान तैनात होंगे। इसके अलावा चीन ल्हासा में गोंगगर हवाई अड्डे को इस क्षेत्र के सबसे बड़े हवाई अड्डे के रूप में विकसित करने जा रहा है। चीन तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में हवाई अड्डों से लेकर हाई-स्पीड रेल तक के परिवहन प्रणाली को तेजी से विकसित कर रहा है। चीन का दावा है कि तिब्बत का आर्थिक विकास केवल इस क्षेत्र के लोगों के जीवन में खुशहाली लाएगा बल्कि बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में शामिल नेपाल के लिए भी प्रगति के रास्ते खोलेगा। चीन अरुणाचल प्रदेश की सीमा के पास 435 किलोमीटर की लंबाई वाले ल्हासा-न्यिंगची रेल नेटवर्क को भी शुरू कर चुका है। इस ट्रैक पर चलने वाली ट्रेनों की औसत गति 160 किमी प्रतिघंटे तक है।

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