बीजिंग । चीन की बढ़ती महात्वाकांक्षाएं दुनिया के लिए काफी घातक होने वाली हैं। ड्रैगन ने अपनी मारक मिसाइलों के ठिकानों बनाने के लिए तीसरा विशाल अड्डा बनाने की तैयारी में लग गया है। सैटलाइट तस्वीरों से पता चला है कि यह तीसरा मिसाइल अड्डा जिलनताई में बनाया जा रहा है जो ताइवान के पास है। बताया जा रहा है कि इस नए ठिकाने पर चीन की 100 नई डीएफ-41 अंतरमहाद्वीपीय मिसाइलों को रखा जा सकेगा। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने सैटलाइट तस्वीरों के आधार पर चीन के इस नए ठिकाने के निर्माण का पता लगाया है। बताया जा रहा है कि चीन का यह तीसरा ठिकाना भी उतना ही बड़ा है जितना कि दो अन्य ठिकाने हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के अधिकारी इस पूरे रणनीतिक घटनाक्रम से वाकिफ हैं। अमेरिका के रणनीतिक कमांड के कमांडर चार्ल्स रिचर्ड ने कहा कि चीन के पहले दो मिसाइल अड्डे ड्रैगन के परमाणु ताकत के रूप में विस्फोटक विस्तार का हिस्सा हैं।
रिचर्ड के मुताबिक हम चीन के रणनीतिक शुरुआत के गवाह बन रहे हैं। उन्होंने कहा, 'चीन के परमाणु और परंपरागत ताकत के रूप में विस्फोटक विस्तार को केवल असाधारण करार दिया जा सकता है।' उन्होंने कहा कि असाधारण शब्द भी इसके लिए कम हो सकता है। उन्होंने कहा कि चीन अभी और ज्यादा सतह से सतह पर हमला करने वाली मिसाइलों के लिए ठिकाने बना रहा है। चीन की ये नई मिसाइलें उसके अंतरमहाद्वीपीय मिसाइलों के जखीरे को और ज्यादा बढ़ाने का काम करेंगी। चीन ने अभी बड़ी तादाद में मिसाइलों को पनडुब्बी, जमीन और रेल मोबाइल लॉन्चर्स पर तैनात कर रखा है। इससे पहले चीन के दो अन्य मिसाइल साइलो सामने आए थे। इसमें से एक हामी और दूसरा युमेन इलाके में बनाया जा रहा है। माना जाता है कि इन दोनों ही जगहों पर 110-110 मिसाइलों को रखने की जगह होगी।
वैज्ञानिकों का कहना है कि चीन ने कई साल तक चुप्पी साधने के बाद अब दुनिया को अपनी ताकत का अहसास कराना शुरू कर दिया है। वर्ष 1960 के दशक में परमाणु बम का परीक्षण करने के बाद चीन ने कई दशक तक न्यूनतम परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने पर बल दिया था। माना जाता है कि चीन के पास 300 परमाणु बम थे लेकिन अब शी जिनपिंग के नेतृत्व में ड्रैगन बहुत तेजी से परमाणु बमों का जखीरा बढ़ा रहा है। वैज्ञानिकों ने कहा कि इस नए विस्तार की तीन वजहें हो सकती हैं। पहला चीन अब अपनी बढ़ी हुई आर्थिक, तकनीकी और सैन्य ताकत के मुताबिक परमाणु बमों का जखीरा बनाना चाहता है। दूसरी वजह यह है कि चीन अमेरिका के मिसाइल डिफेंस और भारत के बढ़ते परमाणु हथियारों से टेंशन में है। उन्होंने कहा कि भारत इन दिनों बहुत तेजी से अपनी परमाणु ताकत को बढ़ा रहा है।
रूस ने हाइपरसोनिक और ऑटोनॉमस हथियारों को बना लेने का ऐलान किया है। ऐसी संभावना है कि चीन इन सबके खिलाफ प्रभावी ताकत हासिल करना चाहता है। तीसरी वजह यह है कि चीन को डर है कि उसकी मिसाइलें दुश्मन के हमले में तबाह हो सकती हैं, ऐसे में वह 200 से ज्यादा मिसाइल साइलो बना रहा है। दो जगहों पर ठिकाना बनाने से अमेरिका को यह पता नहीं चल पाएगा कि कहां पर ज्यादा परमाणु मिसाइले हैं। दरअसल, हर देश परमाणु डेटरेंस के लिए अपने हथियारों को अलग-अलग तैनात रखता है। अगर कोई देश परमाणु हमला करता है तो इन ठिकानों पर तैनात मिसाइलें जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार की जा सकती हैं।