मिनरल रॉयल्टी पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले की समीक्षा के लिए केंद्र की याचिका, 9 जजों की बेंच ने दिया था फैसला

Updated on 12-09-2024 02:47 PM
नई दिल्ली: केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को लेकर परेशान है। इस फैसले में राज्यों को खनन और खनिज वाली जमीन पर टैक्स लगाने का अधिकार दिया गया है। केंद्र सरकार का कहना है कि इससे बहुत बड़ा आर्थिक बोझ पड़ेगा। केंद्र ने इस फैसले पर फिर से विचार करने की मांग की है और कहा है कि इसमें कई गलतियां हैं। यह मामला 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच के फैसले से जुड़ा है। केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश को साथ लेकर इस फैसले के खिलाफ याचिका दायर की है। केंद्र का कहना है कि यह मामला देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों से जुड़ा है। साथ ही, यह जनहित का मुद्दा है और अगर इस पर खुली अदालत में सुनवाई नहीं हुई तो बड़ा अन्याय होगा।

'संविधान पीठ के फैसले पर पुनर्विचार?'

वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी कुछ खनिज संपन्न राज्यों की तरफ से पेश हुए। उन्होंने मांग की कि 9 जजों की बेंच के फैसले के बाद बकाया राशि से जुड़े मामलों को जल्द से जल्द एक नियमित बेंच के सामने सूचीबद्ध किया जाए ताकि राज्यों को जल्द से जल्द वित्तीय राहत मिल सके। इसके जवाब में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ वकील ए एम सिंघवी ने CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि केंद्र और टाटा समूह की एक इकाई ने इस फैसले के खिलाफ याचिका दायर की है। यह सुनकर CJI ने कहा, 'संविधान पीठ के फैसले पर पुनर्विचार?'

बिना टैक्स दिए खनिजों के खनन को हुआ काफी फायदा

राकेश द्विवेदी ने कहा कि केंद्र द्वारा पुनर्विचार याचिका दायर करना इस बात का संकेत है कि PSU, जिन्हें दशकों से बिना रॉयल्टी या टैक्स दिए खनिजों के खनन से भारी फायदा हुआ है, अब न्यूनतम राशि भी नहीं देना चाहते हैं। केंद्र और निजी कंपनियों ने अदालत से अनुरोध किया था कि राज्यों द्वारा खनिजों पर लगाया जाने वाला शुल्क भविष्य से लागू हो। इस पर 9 जजों की पीठ ने 14 अगस्त को स्पष्ट किया कि रॉयल्टी और खनिज वाली जमीन पर लगने वाले टैक्स का बकाया 2005 से अगले 12 वर्षों में किश्तों में राज्यों को दिया जाएगा। यह भी स्पष्ट किया गया कि बकाया राशि पर ब्याज नहीं लगेगा।

बिना ब्याज के, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU) पर वित्तीय बोझ लगभग 70,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। अगर निजी क्षेत्र के उद्योगों से 2005 से बकाया राशि को भी इसमें शामिल किया जाए तो यह आंकड़ा बढ़कर 1.5 लाख करोड़ रुपये हो जाता है। इस फैसले से सबसे ज्यादा फायदा खनिज संपन्न राज्यों झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और राजस्थान को होगा। केंद्र सरकार ने 9 जजों की पीठ के फैसले को भविष्य से लागू करने की मांग करते हुए कहा था कि अगर इसे पूरी तरह से लागू किया जाता है तो इससे बहुत बड़ा आर्थिक बोझ पड़ेगा, जिससे कई PSU और उद्योग बर्बाद हो सकते हैं। साथ ही, इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान होगा और लगभग सभी उत्पादों की कीमतें बढ़ जाएंगी।
Advt.

अन्य महत्वपुर्ण खबरें

 11 January 2025
पंजाब-हरियाणा के खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के आमरण अनशन का आज 47वां दिन है। गुरुवार को हुए उनकी टेस्ट की रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है।…
 11 January 2025
दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा आज अपने बचे हुए 41 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर सकती है। इसको लेकर शुक्रवार को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर…
 11 January 2025
प्रयागराज महाकुंभ में संन्यास लेने वाली 13 साल की लड़की का संन्यास 6 दिन में ही वापस हो गया। दीक्षा दिलाने वाले महंत कौशल गिरि को जूना अखाड़े से 7…
 11 January 2025
असम के दीमा हसाओ जिले में 300 फीट गहरी कोयला खदान से शनिवार को एक और मजदूर लिजान मगर का शव पानी पर तैरता हुआ मिला। मजदूर की पहचान 27…
 11 January 2025
कोरोना वायरस जैसे ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) के देश में कुल 15 मामले हो गए हैं। शनिवार को असम में पहला केस सामने आया। यहां 10 महीने का बच्चा पॉजिटिव है।बच्चे…
 10 January 2025
पंजाब के अमृतसर में एक और पुलिस चौकी धमाके की आवाज से दहल गई। यह धमाके की आवाज गुरुवार रात करीब 8 बजे सुनाई दी। पुलिस ने बयान जारी कर…
 10 January 2025
हिमाचल प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में आज सुबह एक उद्योग में भीषण आग लग गई है। फॉर्मा उद्योग में जब आग लगी तो नाइट शिफ्ट के लगभग 35 कर्मचारी…
 10 January 2025
सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सेम सेक्स मैरिज को मान्यता देने के लिए लगाई गई पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने इन याचिकाओं को खारिज कर दिया। 17 अक्टूबर…