जबलपुर, २८ दिसंबर । नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडीकल कॉलेज के डीन (अधिष्ठाता) पद पर डॉ. प्रदीप कसार की नियुक्ति विवादों में घिरने के बाद जहाँ पूर्व चिकित्सा शिक्षा मंत्री विजय लक्ष्मी साधो ने अपना पल्ला झाड़ते हुए गैंद तत्कालीन कमिश्नर एवं डायरेक्टर मेडीकल एज्युकेशन (डीएमई) के पाले में फेंक दी है वहीं वर्तमान चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए नियुक्ति के लिए प्रकाशित विज्ञापन से लेकर पूरी प्रक्रिया के दस्तावेजों को बुलवाते हुए जांच के आदेश दिए हैं। सुश्री साधो के साथ श्री सारंग का भी दो टूक कहना है कि यदि किसी पद को पाने किसी व्यक्ति द्वारा किसी महत्वपूर्ण तथ्य से नियोक्ताओं को अंधेरे में रखा गया हो तो यह अपराध गंभीर प्रकृति का है। ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि दवा खरीदी के भुगतान में सवा करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान जैसी वित्तीय अनियमितता जिस पर आरोपी को जांच एजेंसियों द्वारा दोषी भी पाया गया हो ऐसे में संबंधित व्यक्ति के खिलाफ अनुशासनात्मक एवं दण्डात्मक कार्रवाई ही नहीं बल्कि आपराधिक प्रवृत्ति के इस अपराध जैसे मामले में एफआईआर भी दर्ज कराई जा सकती है।
यह है मामला...............
अधिवक्ता अनुराग नेमा के द्वारा प्रेषित शिकायत में डॉ. कसार की नियुक्ति को गलत बताते हुए गंभीर आरोप लगाए गए। शिकायत में कहा गया कि पद के लिए विज्ञापन का न सिर्फ प्रचार प्रसार सीमित रखा गया बल्कि डॉ.कसार नियम विरुद्ध तरीके से कथित तौर पर अपनी वित्तीय अनियमितता को छिपाते हुए इस पद पर पदस्थ हो गए। डॉ कसार सहित दो अन्य पर नई दवा नीति २००९ के प्रावधानों का उल्लंघन कर ७.६३ करोड़ रुपए की दवा एवं सर्जिकल सामग्री एल.६ एवं एल.२ निविदाकारों से क्रय कर आपूर्तिकर्ताओं को नियम विरुद्ध १.२५ करोड़ रुपए का अतिरिक्त भुगतान करने का आरोप है। जिसकी जांच में नियंत्रक महालेखापरीक्षक (कैग) के साथ आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्लयू) एवं लोकायुक्त की जांच समितियों ने न सिर्फ दोषी पाया था बल्कि अनुशासनात्मक एवं दण्डात्मक कार्रवाई की अनुशंसा भी की थी।
विज्ञापन की शर्तों के भी नहीं अनुरूप.............
पद के लिए विज्ञापन का भले ही प्रचार प्रसार न हो पाने की वजह से भले ही अकेले डॉ. कसार ही साक्षात्कार के अनुकूल पाए गए हों लेकिन इसी विज्ञापन की एक कंडिका में वे खरे नहीं उतरे। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि विज्ञापन की क्रमांक ९ की निर्रहताओं में अंतिम बिंदू में स्पष्ट उल्लेख है कि ऐसे उम्मीदवार जिनके विरुद्ध विभागीय जांच, लोकायुक्त जांच एवं इओडब्ल्यू जांच लंबित हो वे अयोग्य ठहराए जाएंगें। शिकायत में आरोप है कि विज्ञापन की इस कंडिका पर डॉण् कसार खरे नहीं उतरते।
इनका कहना है......
मुझे इस विषय में कोई जानकारी नहीं है।
डॉ. प्रदीप कसार
डीन, नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज
नियुक्ति के दौरान उन्होंने संबंधित विज्ञापन के साथ डॉ. कसार द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज, शपथपत्र आदि की जांच की जा रही है, कोई भी जानकारी भ्रामक पाई जाती है तो सख्त कार्रवाई होगी।
बी. चंद्रशेखर
संभागायुक्त, जबलपुर
मैं इस विषय में वर्तमान में कुछ नहीं कह सकता हूं, यह मुझे याद है कि मेरे कार्यकाल के दौरान ही डॉ. कसार की डीन पद पर नियुक्ति हुई थी, इस विषय में आप वर्तमान संभागायुक्त से चर्चा करें।
राजेश बहुगुणा
तत्कालीन संभागायुक्त
नियुक्ति और निलंबन सहित समस्त अधिकारी संभागायुक्त के पास हैं वे इस समिति के अध्यक्ष हैं।
डॉ. निशांत बरबड़े
आयुक्त, चिकित्सा शिक्षा
इस संबंध में तात्कालीक संभागायुक्त और डीएमई से चर्चा करें, नियुक्ति के अधिकार उनके पास थे, यदि संबंधित चिकित्सक के द्वारा भ्रामक जानकारी दी गई तो अवश्य कार्रवाई की जाए।
विजय लक्ष्मी साधो
पूर्व चिकित्सा शिक्षा मंत्री
इस संबंध में समस्त दस्तावेजों की प्रतिलिपि मंत्रालय बुलाई जा रही है, स्थानीय स्तर पर भी जांच के आदेश दे दिए गए हैं। यदि नियुक्ति के दौरान कोई जानकारी मिथ्या दी गई है तो ऐसे व्यक्ति को किसी भी कीमत पर बक्शा नहीं जाएगा।
विश्वास सारंग
चिकित्सा शिक्षा मंत्री, मप्र शासन