नई दिल्ली। केंद्र ने सभी वाहनों के लिए नए उत्सर्जन मानक बीएस-6 को पहली अक्टूबर से लागू करने का फैसला किया है। इनकी पहचान नंबर प्लेट में लगी हरी, नारंगी पट्टी से होगी। बीएस-6 वाहन अधिक महंगे होंगे, लेकिन वाहन चालकों को अधिक माइलेज भी मिलेगा। वायु प्रदूषण 70 फीसदी कम होगा। लेकिन, बीएस-4 वाहनों को सड़कों से हटाया नहीं जाएगा। सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने शनिवार को वाहनों के नए उत्सर्जन मानक बीएस-6 एक अक्तूबर से लागू करने संबंधी अधिसूचना जारी कर दी है। इसमें बताया है कि पेट्रोल-सीएनजी चार पहिया बीएस-6 वाहनों के नंबर प्लेट पर एक सेंटीमीटर चौड़ी हरे रंग की पट्टी लगानी अनिवार्य होगी। डीजल वाहन में नारंगी रंग की पट्टी होगी। परिवहन क्षेत्र के विशेषज्ञों ने कहा कि निर्माता कंपनियों को वाहनों में एडवांस एमीशन कंट्रोल सिस्टम फिट करना होगा। जो डीजल वाहनों में 70%, पेट्रोल वाहनों में 25% तक नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन को कम करेगा। इनमें रियल ड्राइविंग इमिशन (आरडीई) को भारत में पहली बार बीएस-6 इंजन के साथ बाजार में लाया जाएगा। बीएस-6 वाहन के लिए 93 ऑक्टेन वाले पेट्रोल की जरूरी होगी। जो दिल्ली सहित देश के बड़े शहरों में मिलता है। बीएस-6 से वाहनों की इंजन की क्षमता बढ़ेगी। उत्सर्जन कम होगा। ईंधन क्षमता बढ़ेगी, जिससे लोगों को अधिक एवरेज मिलेगा। पेट्रोल-डीजल बीएस-4 वाहन पहले की तरह चलते रहेंगे। 15 वर्ष से अधिक पुराने निजी वाहन को प्रत्येक पांच साल व व्यावसायिक वाहन को प्रत्येक दो साल में फिटनेस टेस्ट कराना पड़ता है। वाहन निर्माता कंपनियां माइलेज के दावे में फर्जीवाड़ा नहीं कर पाएंगी। वर्तमान में हकीकत में वाहन उतना माइलेज नहीं देते हैं, जितना कंपनियां दावा करती हैं। बीएस-6 ईंधन क्षमता बढ़ाने से कार 4.1 लीटर में 100 किलोमीटर से अधिक का माइलेज देंगी। परिवहन विशेषज्ञ एसपी सिंह का कहना है कि यूरोप व आस्ट्रेलिया में कई साल पहले बीएस-6 लागू हो चुका है। यह देश बीएस-7 की ओर बढ़ रहे हैं। इससे शहरों के प्रदूषण में 40 से 50 फीसदी की कमी आई है।