लंदन । ब्रिटेन में ब्रिटिश दंपति स्टीव औऱ ग्लेंडा हार्डी को माल्टा जाने वाली फ्लाइट में बोर्डिंग से रोक दिया गया क्योंकि उन्होंने भारत में बनी एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोविशील्ड लगवाई थी। इसे यूरोपीय मेडिकल संस्था ने मान्यता नहीं दी है।
ज्ञात रहे कि भारत कई बार कोविशील्ड को ज्यादातर यूरोपीय संघ के देशों में मान्यता न मिलने का मुद्दा उठा चुका है। उसने जवाबी कार्रवाई की चेतावनी भी दी है।
खबरों के मुताबिक, स्टीव और ग्लेंडा ने माल्टा में अपने बेटे से मिलने के टिकट बुक कराया था, जिससे वो करीब साल भर से नहीं मिले थे। लेकिन उन्हें मैनचेस्टर एयरपोर्ट से आधी रात वापस लौटना पड़ा। उन दोनों को मार्च में कोविशील्ड वैक्सीन लगी थी। टेलीग्राफ के मुताबिक, ब्रिटेन में लाखों लोग ऐसे हैं, जिन्हें भारत के सीरम इंस्टीट्यूट में बनी कोविशील्ड वैक्सीन लगाई गई है। उन्हें इस बारे में कोई जानकारी भी नहीं दी गई। ऐसे में लाखों लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
इस वैक्सीन को यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी की मान्यता नहीं मिली है और इसलिए ये ईयू वैक्सीन पासपोर्ट स्कीम में शामिल नहीं है। ग्लेंडा ने कहा कि यह सुनकर हमारा दिल भर आया। हमने कोविड से जुड़ी हर प्रक्रिया का पालन किया। उनके पति स्टीव ने कहा कि उन्हें नहीं पता था कि कोरोना की कौन सी वैक्सीन उन्हें दी गई।
स्टीव ने कहा, "जब हमें स्वास्थ्य एजेंसियों की ओर से कहा गया, हमने वैक्सीन लगवा ली। हमें नहीं पता था कि हमें कौन सा टीका लगवाया जा रहा है। हमने सरकार पर भरोसा किया। जबकि ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन का कहना है कि उनके देश में कोई भी भारतीय वैक्सीन जारी नहीं की गई है। जो हमारे मामले में झूठ प्रतीत हो रहा है।"