अष्टमी तिथि को खरीदा सोना-चांदी देता है शुभफल

Updated on 07-09-2020 06:11 PM

 भोपाल कडवेंदिनों यानि की श्राद्ध पक्ष में 10 सितंबर को अष्टमी तिथि के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करने का शास्त्रों में विधान है। इस त्योहार को गज लक्ष्मी तथा हाथी पूजा भी कहा जाता है। यूं तो श्राद्ध पक्ष में शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं, लेकिन इस दिन सोना, चांदी खरीदने से इसका आठ गुणा फल मिलता है। राजधानी के ज्योतिषाचार्य के अनुसार गजलक्ष्मी पूजन में महिलाएं व्रत रखती हैं। मिट्टी का हाथी चौकी पर स्थापित कर बेसन से बने आभूषणों से सजाकर हाथी की पूजा करती हैं। साथ ही माता के सामने सोने चांदी के आभूषण रखकर मिठाई, फल, आदि माता को अर्पित कर उनकी कृपा प्राप्त करती हैं। मान्यता है कि इस दिन माता की पूजा से जातक के जीवन में धन धान्य की कमी नहीं होती है। श्राद्घपक्ष के दौरान पितरों को श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण कराने से उन्हें कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही पितरों के स्वजन को भी पितृदोष से मुक्ति मिलती है। क्योंकि सनातन संस्कृति में अनेकों धार्मिक ग्रंथ हैं जिन्हें ऋषि मुनियों एवं देवताओं ने अपने हाथों से लिखा है, लेकिन श्रीमद् भागवत कथा ही एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसे स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्घ के समय अपने धर्म से विमुख हुए अर्जुन को सुनाया था। संतों वेदाचार्यों का मत है कि श्राद्घ पक्ष के दौरान अपने पूर्वजों को श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण कराने से परिवार में सुख शांति आती है। साथ ही पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है। संकट के समय जब भागवत वाणी का श्रवण होता है तो संकट अपने आप ही दूर हो जाता है। राजा परीक्षित को श्रृंगी ऋषि ने श्राप दिया था कि वह 7 दिन में मृत्यु को प्राप्त हो जाएंगे। इस श्राप से मुक्ति के जो भी उपाय उन्हें बताए गए वह सभी प्रभावहीन हो गए। तब शुक्रदेव महाराज ने भागवत कथा के पाठ का पारायण कराया। तब वह श्राप से मुक्त हुए और उन्हें सद्गति प्राप्त हुई। इसलिए श्राद्घ पक्ष में तर्पण के साथ पिंडदान करने के समय श्रीमद भागवत कथा के श्रवण का सर्वाधिक महत्व बताया गया है। इसी श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से प्रेत बाधा रूपी श्राप से धुंधकारी मुक्त हुआ था। श्राद्घ का उल्लेख ब्रह्मापुराण, गरुण पुराण, विष्णु पुराण, बारह पुराण, मार्कंडेय पुराण, कोटपे निषाद, महाभारत, मनुस्मृति आदि शास्त्रों में श्राद्घ का उल्लेख किया गया है। वेदों में बताए गए पांच यज्ञों में से एक यज्ञ पितृयज्ञ भी है। पितृपक्ष में गजेन्द्र मोक्ष का नियमित पाठ करने से पितरों को बंधनों से मुक्ति मिलती है। साथ ही जातक भी कर्ज से संबंधित परेशानियों से मुक्ति पा लेता है।

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