इटली । बुढ़ापे का प्रतीक कहलाने वाली झुर्रियों को रोकने वाला बोटॉक्स इंजेक्शन कोविड होने से रोक सकता है। यह दावा फ्रांस के शोधकर्ताओं ने अपनी ताजा रिसर्च में किया है। शोधकर्ताओं का कहना है, पिछले साल जुलाई में बोटॉक्स का इंजेक्शन लेने वाले करीब 200 मरीजों पर रिसर्च की गई। रिसर्च में सामने आया कि मात्र 2 लोगों को ही कोरोना के लक्षण दिखे। रिसर्च करने वाली फ्रांस के मॉन्टिपेलियर यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के वैज्ञानिकों का कहना है, बोटॉक्स इंजेक्शन कोरोना से बचाने में मदद कर सकता है। इस पर और स्टडी की जा रही है।
शोधकर्ताओं का कहना है, एसिटिलकोलीन केमिकल के कारण मांसपेशियां सिकुड़ती हैं और झुर्रियां दिखती हैं। बोटॉक्स इंजेक्शन इसी केमिकल को बढ़ने से रोकता है और मांसपेशियों को रिलैक्स करता है। रिसर्च में दावा किया गया है कि कोरोनावायरस इसी एसिटिलकोलीन केमिकल के साथ जुड़कर कोशिकाओं को संक्रमित करता है। बोटॉक्स इंजेक्शन इसी केमिकल को कंट्रोल करता है, इसलिए यह कोविड से भी बचा सकता है। फ्रेंच शोधकर्ताओं के मुताबिक, बोटॉक्स के इंजेक्शन पर अभी और रिसर्च किए जाने की जरूरत है ताकि यह समझाया जा सके कि यह किस हद तक कोरोना को कंट्रोल किया जा सकता है।
वैज्ञानिकों ने बोटॉक्स इंजेक्शन का कोविड के मरीजों पर असर देखने के लिए 193 लोगों पर रिसर्च की। इनमें 146 महिलाएं थीं। इनकी औसतन उम्र 50 साल थी। ये सभी मरीज बोटॉक्स इंजेक्शन लगवा चुके थे। रिसर्च में शामिल मरीजों की इंजेक्शन लगने के 3 महीने बाद तक मॉनिटरिंग की गई। यह देखा गया कि इनमें से किसी को कोविड का इंफेक्शन हुआ या नहीं। रिसर्च रिपोर्ट में सामने आया कि इनमें से किसी भी मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं आई। हालांकि दो मरीज संदिग्ध दिखे। इनके अलावा दूसरे मरीजों में किसी तरह के लक्षण नहीं दिखे।
53 साल की एक महिला लासवेगस की ट्रिप से लौटकर आई थी। उसमें हल्के लक्षण दिखे थे लेकिन रिपोर्ट निगेटिव आई। 70 साल की एक और महिला बीमारी तो हुई लेकिन उसकी जांच नहीं हुई थी। स्टोमेटोलॉजी जर्नल में पब्लिश इस रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि अध्ययन में शामिल लोगों में से किसी को भी हॉस्पिटल में भर्ती नहीं किया गया।