लोक परिवहन के माध्यम से गांव-गांव तक बसें चलाने की आवश्यकता है। यह तभी संभव है जब सरकार हर स्तर पर परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराए। लोक परिवहन के क्षेत्र में काम कर रहे जानकारों का कहना है कि रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन एक्ट में साफ लिखा है कि, 'नो प्राफिट, नो लास' के आधार पर आमजन को परिवहन सुविधा मिलनी चाहिए, पर मध्य प्रदेश में ऐसा नहीं हो रहा है। सरकार स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा इसी आधार पर उपलब्ध करा रही है।
एक कल्याणकारी राज्य में परिवहन सुविधा भी इसी प्रकार से मिलनी चाहिए। यही कारण है मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को छोड़कर सभी राज्यों में लोक परिवहन के सरकार के हाथ में है। मप्र में सरकार ने राज्य परिवहन निगम को दो जनवरी 2005 को बंद करने की घोषणा की थी। 2010 के बाद से बसों का संचालन बंद हो गया था।
इसके पीछे सरकार का तर्क था किक बस चलाने में घाटा हो रहा है, जबकि उन्हीं रूटों पर निजी आपरेटर अब कमाई कर रहे हैं। प्रदेश में 15 हजार बसों को मिलाकर लगभग डेढ़ लाख वाहनों का संचालन निजी आपरेटर कर रहे हैं। उनकी निगरानी ठीक से नहीं होने के कारण वह परमिट किसी और रूट की लेते हैं पर वाहन अधिक लाभ वाले रूट पर चलाते हैं।