नई दिल्ली। फंसे कर्ज की वसूली के लिए बैंक जल्द एनपीए खातों की समीक्षा करने पर विचार कर रहे हैं। इसका मकसद ज्यादा जोखिम वाले खातों का पता लगाना और समय रहते उनसे कर्ज वसूली प्रक्रिया शुरू करना है। आरबीआई ने भी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में बैंकों को यह कदम उठाने का सुझाव दिया था। बैंकिंग सूत्रों ने बताया कि अगली कुछ तिमाहियों में बैंक गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की वास्तविक स्थिति का पता लगाने के लिए समीक्षा करेंगे। यह काम आंतरिक प्रबंधन के जिम्मे रहेगा और आरबीआई से निर्देश की जरूरत नहीं होगी। वित्तीय सलाहकार फर्म केपीएमजी इंडिया के पार्टनर संजय दोषी ने कहा कि लाल निशान वाले खातों की पहचान होते ही बैंक कर्ज वसूली का काम शुरू कर देंगे। अगर समय रहते प्रक्रिया शुरू हो जाती है, तो बैंकों को काफी मदद मिलेगी। आरबीआई ने बताया था कि सितंबर, 2020 तक एनपीए 9.9 फीसदी पहुंच सकता है, जो सितंबर 2019 में 9.3 फीसदी था। आरबीआई के मुताबिक सितंबर 2020 तक सरकारी बैंकों का कुल एनपीए 0.50 फीसदी बढ़कर 13.2 फीसदी तक पहुंच जाएगा। वहीं निजी बैंकों में यह स्तर 0.3 फीसदी बढ़ोतरी के साथ 4.2 फीसदी रहेगा। पिछले साल सितंबर में बैंकों का शुद्ध एनपीए घटकर 3.7 फीसदी पर पहुंच गया था। इसका सबसे बड़ा कारण बैंकों की ओर से फंसे कर्ज की बड़ी वसूली थी। 15वें वित्त आयोग की सलाहकार समिति ने शुक्रवार को अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 के प्रभावों का आकलन किया और सरकार को अपने कर्ज में कमी लाने का सुझाव दिया। परिषद ने कहा कि लॉकडाउन का उद्योगों पर गहरा प्रभाव पड़ा है, जिससे कर वसूली में बड़ी गिरावट आई है। यह असर केंद्र और राज्य दोनों पर पड़ा है।