भोपाल । प्रदेश की शिवराज सरकार भले ही अभी पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार के फैसलों की समीक्षा कर रही हो, मगर उसका एक फैसला भाजपा के गले में अटक गया है। यह मामला सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया से जुड़ा है, जिसे न तो भाजपा खारिज कर सकती है, और न ही बरकरार रख सकती है। दरअसल, कांग्रेस सरकार ने ग्वालियर में सिंधिया एजुकेशन सोसायटी को सिर्फ 100 रुपए की टोकन मनी पर 145.8 एकड़ (59.015 हेक्टेयर) जमीन 99 साल की लीज पर सिंधिया को दी थी। जनवरी 2020 में हुई कैबिनेट में मंजूरी मिलने के बाद राजस्व विभाग ने यह आदेश 13 फरवरी 2020 को जारी किया था। अब भाजपा के लिए यही निर्णय गले में अटक गया है। भाजपा की शिवराज सरकार ने कांग्रेस की पिछली कमलनाथ सरकार के 23 मार्च से आखिरी के छह माह की कैबिनेट के फैसलों की समीक्षा के लिए पांच मंत्रियों की कैबिनेट सब कमेटी बना दी है। इस कमेटी की दो बैठकें हो गई हैं, जिसमें अफसरों से कहा गया है कि वे सभी फैसलों के दस्तावेज कमेटी के समक्ष रखें। कमेटी में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा, खाद्य मंत्री बिसाहूलाल सिंह, राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और खनिज मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह शामिल हैं।
कमेटी के सामने आया मामला
कमेटी के निर्देश के अनुसार अफसरों ने नाथ सरकार के सभी फैसलों को समिति के समक्ष रख दिया, जिसमें सिंधिया को जमीन देने का मामला भी शामिल है। भाजपा नेताओं को इस फैसले का पता नहीं था। जैसे ही इसकी फाइल सामने आई, उनके पसीने छूट गए। कहा जा रहा है कि यह मामला मुख्यमंत्री और संगठन के संज्ञान को लाया गया है। अब भाजपा को सूझ नहीं रहा है कि वह क्या करे। फैसले को रद्द करती है तो सिंधिया नाराज और इसे छोड़कर बाकी निरस्त करती है तो कांग्रेस चुनावी मुद्दा बनाऐगी।
उपचुनाव में बनेगा मुद्दा
आने वाले कुछ दिनों में उपचुनाव होने हैं। उसमें यह मुद्दा उछलने की पूरी संभावना है। उपचुनाव तक सरकार शायद ही इस पर कोई फैसला ले। कहा यह भी जा रहा है कि सिंधिया का प्रकरण सामने आने के बाद कमेटी नाथ सरकार के आखिरी 6 माह के फैसलों को ठंडे बस्ते में डालने की तैयारी में है।
ऐसे मिली थी सिंधिया को जमीन
बताया जा रहा है कि 2013 में विधानसभा चुनाव से कुछ माह पहले की कैबिनेट में भी जमीन लीज पर देने का मसला आया था। तब मुख्य सचिव आर परशुराम थे। इस समय राजस्व विभाग ने इस जमीन की फाइल तैयार हुई, लेकिन कैबिनेट ने मंजूरी नहीं दी। इसके बाद 2013 से लेकर 2018 तक शिवराज सरकार ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया था। बताया जा रहा है कि जमीन का आंकलन करीब 212 करोड़ रुपए किया गया था। दिसंबर 2018 में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के बनने के कुछ समय बाद फिर यह फाइल सिंधिया के दबाव में निकली। मुख्यमंत्री कमलनाथ पर सिंधिया समर्थक मंत्रियों ने दबाव देकर सहमति बनवाई थी। शिवराज मंत्री मण्डल में सिंधिया समर्थक मंत्री शामिल है। 212 करोड़ की जमीन 100 रूपये में आवंटित करने का मामला उप-चुनावों में चुनावी मुद्दा बन रहा है। जो सरकार के गले में हड्डी की तरह फंस गया है।