टाटा में 'घर वापसी' से भी नहीं सुधरी एयर इंडिया की हालत, यात्रियों के लिए क्यों सिर दर्द बन रहा महाराजा?

Updated on 22-09-2024 11:48 AM
नई दिल्ली: 'अपनी घड़ियां सेट करो दोस्तों, हम अपने तय समय पर हैं।' जेआरडी टाटा ने एयर इंडिया की पहली अंतरराष्ट्रीय उड़ान पर यह टिप्पणी की थी। यह उड़ान 8 जून, 1948 को बंबई (अब मुंबई) से काहिरा और जिनेवा होते हुए लंदन के लिए रवाना हुई थी और अगले दिन सही समय पर अपने गंतव्य पर पहुंची थी। लेकिन अब एयर इंडिया के यात्रियों के लिए अब वह बात नहीं रह गई है। एयरलाइन की लंबी और मध्यम दूरी की उड़ानों में लगातार देरी की शिकायतें आ रही हैं। एयर इंडिया की सात दशक बाद फिर से टाटा ग्रुप में वापसी हुई है लेकिन इसका ऑन टाइम परफॉर्मेंस लगातार खराब होता जा रहा है। एयर इंडिया के मुकाबले विस्तारा समय की ज्यादा पाबंद थी। अब 12 नवंबर को इसका एयर इंडिया में विलय होने जा रहा है।

एयर इंडिया के यात्रियों की परेशानी को एक उदाहरण से समझ सकते हैं। 31 अगस्त, 2024 को मुंबई और लंदन की उड़ान संख्या AI 129 अपने निर्धारित प्रस्थान समय सुबह 5.15 बजे से लगभग नौ घंटे बाद रवाना हुई। उसी दिन मुंबई-न्यूयॉर्क फ्लाइट 12 घंटे की देरी के बाद रवाना हुई। उड़ान ट्रैकिंग साइट्स से पता चलता है कि AI 129 फ्लाइट 28, 29 और 30 अगस्त को दोपहर 2 बजे के बाद रवाना हुई। इसी तरह 23 और 24 अगस्त को यह सुबह 8 बजे के बाद रवाना हुई। देरी की सूची अंतहीन है। अपने निर्धारित प्रस्थान/आगमन समय से 15 मिनट के भीतर ऑपरेट होने वाली उड़ान को समय पर माना जाता है।

खराब रेकॉर्ड


एयर इंडिया की घरेलू उड़ानों का रिकॉर्ड भी पाबंदी के मामले में बहुत खराब है। DGCA के आंकड़ों के अनुसार हाल के महीनों में केवल स्पाइसजेट और एलायंस एयर का ऑन टाइम परफॉर्मेंस इससे खराब रहा है। लेकिन यात्रियों के पास घरेलू मार्गों पर विकल्प हैं। वर्ष 2023 में एयर इंडिया की घरेलू बाजार हिस्सेदारी 9.7% थी। हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय बाजार की बात अलग है। एयर इंडिया उत्तरी अमेरिका, यूरोप, सुदूर पूर्व और ऑस्ट्रेलिया के लिए मीडियम से लेकर अल्ट्रा लॉन्ग हॉल नॉनस्टॉप उड़ानें संचालित करती है।

दिल्ली से शिकागो, सैन फ्रांसिस्को और वाशिंगटन, मुंबई से मैन फ्रांसिस्को और बेंगलुरु से सैन फ्रांसिस्को जैसे कई रूट्स पर एयर इंडिया ही एकमात्र सीधी सेवा है। उत्तरी अमेरिका के लिए एयर इंडिया की सीधी उड़ानें सबसे तेज विकल्प हैं क्योंकि एयरलाइन रूस से होकर गुजरती है और सबसे छोटा रास्ता अपनाती है। इन उड़ानों में देरी से उन यात्रियों के धैर्य का बांध टूट रहा है जो एयर इंडिया के लॉयल कस्टमर हैं। OAG के अनुसार अप्रैल 2024 में भारत से इंटरनेशनल फ्लाइट्स में एयर इंडिया की हिस्सेदारी 20%, इंडिगो की 17% और एमिरेट्स की 7% थी। इस बारे में एयर इंडिया की तरफ से फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं आई।

डीजीसीए का हस्तक्षेप


हाल ही में लगातार लंबी दूरी की तीन उड़ानों में देरी के कारण डीजीसीए को हस्तक्षेप करना पड़ा। 24 मई को मुंबई-सैन फ्रांसिस्को के बीच एयर इंडिया की उड़ान में 18 घंटे की देरी हुई। इसी तरह 30 मई को दिल्ली-सैन फ्रांसिस्को फ्लाइट में 30 घंटे से अधिक की देरी और 1 जून को दिल्ली-वैंकूवर फ्लाइट में 20 घंटे से अधिक की देरी हुई। डीजीसीए के नोटिस में कहा गया था कि एयर इंडिया बार-बार यात्रियों की उचित देखभाल करने में विफल रही है। डीजीसीए अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए ओटीपी के आंकड़े नहीं देता है।

टीओआई ने एयर इंडिया के खराब प्रदर्शन का कारण जानने के लिए स्टेकहोल्डर्स के एक वर्ग से बात की। इसमें इंजीनियरिंग और रखरखाव संबंधी मुद्दे सबसे कॉमन रहे। इस कारण विमानों को बार-बार ग्राउंड होना पड़ता है। स्पेयर्स की कमी और खराब क्रू प्लानिंग के कारण भी एयर इंडिया की फ्लाइट्स में देरी होती है। सूत्रों का कहना है कि एयर इंडिया ने अपनी क्षमता से अधिक उड़ानें अपने हाथ में ले ली हैं। इससे विमानों का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है। कंपनी ने कई अंतरराष्ट्रीय उड़ानें जोड़ी हैं।

जमीनी हकीकत से दूर है मैनेजमेंट


कई स्टेकहोल्डर्स का कहना है कि मैनेजमेंट जमीनी हकीकत से दूर है और नए मैनेजर्स पुरानी टीम को साथ लेने को तैयार नहीं है। इससे पुराने कर्मचारी नाराज चल रहे हैं। बहुत से लंबे समय से काम कर रहे कर्मचारी अब खुद को अलग-थलग महसूस करते हैं। सूत्रों ने कहा कि हर चीज के लिए कई ऐप और ईमेल हैं। अगर कुछ रिपोर्ट करना है, तो ईमेल से करें। जवाब मिलने में कई दिन लग सकते हैं।

एयर इंडिया के अंदरूनी लोगों का भी मानना है कि केवल नए विमान लाने से ये मुद्दे हल नहीं होंगे।

एयर इंडिया के निजीकरण के समय एआई इंजीनियरिंग सर्विसेज लिमिटेड (AIESL) को अलग कर दिया गया था। सूत्रों ने कहा कि सिस्टम और प्रक्रियाएं लागू होनी चाहिए। हमारी लंबी दूरी की उड़ानें विमानों की अधिकतम वहन क्षमता के साथ संचालित होती हैं। यहां तक कि एक छोटी सी समस्या का मतलब है यात्रियों या सामान को पीछे छोड़ना, उड़ानों में देरी या रद्द करना। बॉम्बे हाउस (टाटा का मुख्यालय) इस मामले से अवगत है। वह स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है और पूछे जाने वाले सवाल पूछ रहा है।
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