इस्लामाबाद । अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते दबदबे के चलते पाकिस्तान लगातार अपने हाथ पीछे खींच रहा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी का कहना है कि वहां पर मिली अफगानिस्तान की विफलता केवल पाकिस्तान की नहीं बल्कि सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने ये भी कहा है कि कोई भी देश इससे मुंह नहीं मोड़ सकता है। एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कुरैशी ने कहा है कि कुछ ऐसे तत्व हैं तो अफगानिस्तान में शांति बहाल नहीं होने देना चाहते हैं। ऐसे तत्व पाकिस्तान की छवि खराब करने की कोशिश कर कर रहे हैं। ऐसे हालातों में पाकिस्तान किसी सैंडविच की ही तरह फंसा हुआ है।
मालूम हो कि अफगानिस्तान के खराब होते हालातों के वहां के मौजूदा और पूर्व राष्ट्रपति पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराते रहे हैं। अमेरिका के पूर्व एनएसए ने भी पाकिस्तान पर ऐसे ही आरोप लगाए हैं। हालांकि पाकिस्तान लगातार इन आरोपों से इनकार करता रहा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री कुरैशी का कहना है कि उन्होंने अफगानिस्तान के विदेश मंत्री को पत्र लिखकर आमंत्रित किया है। उनका कहना है कि वो अफगानिस्तान के मुद्दे को सुलझाने के लिए बातचीत करना चाहते हैं।
कुरैशी का कहना है कि वो पहले भी कई बार इस बात को दोहरा चुके हैं कि पाकिस्तान अफगानिस्तान में किसी का भी चहेता नहीं है। न अफगान सरकार उसको पसंद करती है और न ही तालिबान उसे पसंद करता है। उन्होंने कहा कि ये अफसोस की बात है कि पाकिस्तान को केवल इस मामले में बलि का बकरा बनाया जा रहा है। अफगानिस्तान के लिए पाकिस्तान पर अंगुली उठाने से अच्छा है कि वहां की फौज और सरकार इस मसले को सुलझाना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा है कि अफगानिस्तान में शांति वार्ता का प्रोसेस बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।
उनके मुताबिक अफगानिस्तान के भविष्य को वहां के ही लोगों को तय करना है। पाकिस्तान का कहना है कि अफगानिस्तान का समाधान सेना के जरिए नहीं हो सकता है। इसका राजनीतिक समाधान निकाला जाना चाहिए। गौरतलब है कि जब से अफगानिस्तान से विदेशी फौज ने वापसी की शुरुआत की है तब से ही तालिबान ने हमले तेज कर दिए हैं। कई जिलों में कब्जे को लेकर अफगान सेना और तालिबान के बीच जबरदस्त संघर्ष चल रहा है। वहीं अमेरिका और अफगानिस्तान वायु सेना भी तालिबान पर आक्रामक हवाई हमले कर रही है।