नई दिल्ली: बिहार के रहने वाले अमरदीप कुमार की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है। कभी 7 रुपये रोज कमाने वाले अमरदीप ने कड़ी मेहनत और लगन से 3 करोड़ रुपये का कारोबार खड़ा किया है। समस्तीपुर में अगरबत्ती का कारखाना चलाने वाले अमरदीप का बचपन गरीबी में बीता। आज वह एक सफल उद्यमी हैं। आइए, यहां अमरदीप कुमार की सफलता के सफर के बारे में जानते हैं।रेस्टोरेंट में कभी रोज 7 रुपये मिलते थे
अमरदीप का जन्म बिहार के एक गरीब परिवार में हुआ था। बचपन से ही उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। सुबह से शाम तक वह एक स्थानीय रेस्टोरेंट में काम करते थे, जहां उन्हें सिर्फ 7 रुपये रोज मिलते थे। यह मामूली रकम उनके और उनके परिवार के लिए काफी नहीं थी। रेस्टोरेंट में वेटर से लेकर बर्तन धोने तक, उन्होंने कई काम किए। इस संघर्ष के बावजूद वह शिक्षा पाने का सपना देखते थे। लेकिन, आर्थिक तंगी ने उन्हें रेस्टोरेंट से बांध कर रखा था।
काम के साथ पढ़ाई भी रखी जारी
साल 1989 से 1996 तक रेस्टोरेंट में काम करने के साथ अमरदीप ने न केवल मैट्रिक की परीक्षा पास की, बल्कि दूसरे बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाया। उनकी महत्वाकांक्षा उन्हें पहले पटना और फिर दिल्ली लेकर गई जहां उन्होंने सिविल सर्विस में शामिल होने का टारगेट रखा। यह और बात है कि इसमें वह सफल नहीं हुए।
समाज के लिए कुछ करने की इच्छा हुई पैदा
ज्ञान की तलाश ने अमरदीप को दक्षिण कोरिया और थाईलैंड की निजी कंपनियों के अलावा बेंगलुरु में शैक्षणिक गतिविधियों सहित कई जगहों तक पहुंचाया। बेंगलुरु में कॉर्पोरेट जगत में काम करते हुए उन्हें संतुष्टि नहीं मिल रही थी। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं से प्रेरित होकर उन्हें वंचितों की मदद करने की बहुत ज्यादा इच्छा हुई। अच्छी तनख्वाह मिलने के बावजूद उन्हें एक अधूरापन महसूस होता रहा था।
वापस लौटकर अगरबत्ती फैक्ट्री शुरू की
बायोकेमिस्ट्री में पीएचडी अमरदीप की पत्नी डॉ. हेमलता सिंह ने उन्हें बिहार लौटने के साथ अपने समुदाय की सेवा करने के लिए प्रोत्साहित किया। वह रामपुर समथू में अपनी जड़ों की ओर लौट आए। यहां आकर उन्होंने एक NGO की नींव रखी। साल 2019 में अमरदीप ने 6 लाख रुपये के छोटे से निवेश के साथ 'मोरंग देश वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड' की स्थापना की। कंपनी तरह-तरह की अगरबत्ती बनाती है। उनका व्यवसाय अब 100 से अधिक स्थानीय श्रमिकों को रोजगार देता है। इसका सालाना टर्नओवर 3 करोड़ रुपये का है। मंदिरों से निकलने वाले बेकार फूलों का इस्तेमाल करके अमरदीप की कंपनी पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देती है। अमरदीप की कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो परिस्थितियों से हार मान लेते हैं। उनकी कहानी बताती है कि दृढ़ इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत से कुछ भी संभव है।