वॉशिंगटन । अमेरिका के पूर्वी हिस्से में किसी रहस्यमय बीमारी की वजह से पक्षियों की सामूहिक मौत हो रही है। इस बीमारी की वजह से स्टारलिंग्स ब्लू जेस, ग्रैकल्स समेत अन्य पक्षियों की अचानक बड़े पैमाने पर मौतें हो रही हैं। दिक्कत की बात यह है कि वैज्ञानिक अब तक इसकी वजह नहीं खोज पाए हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह पक्षियों की महामारी के शुरुआती संकेत है। फिलहाल पक्षी विज्ञानी लगातार इस रहस्यमय मौत के कारणों का युद्धस्तर पर पता कर रहे हैं। अभी तक वैज्ञानिकों को पक्षियों की मौत की वजह का पता नहीं चल पाई है, लेकिन उन्होंने पक्षियों की मौत के लिए जिम्मेदार माइक्रोब्स यानी सूक्ष्मजीव साल्मोनेला और क्लामीडिया की मौजूदगी और भागीदारी से इंकार किया है। ये दोनों सूक्ष्मजीव ही अक्सर पक्षियों को सामूहिक तौर पर मारने के लिए जिम्मेदार होते हैं। अगर यह नहीं है तो फिर कौन सा बैक्टीरिया या वायरस इन पक्षियों को खत्म कर रहा है, यह एक रहस्य बना हुआ है।
पक्षियों में रहस्यमयी बीमारी की वजह से मौत के शुरुआती मामले दो महीने पहले वर्जिनिया, वॉशिंगटन और मैरीलैंड में आए थे। वाइल्डलाइफ रेस्क्यू संस्थानों के अनुसार अब ये रहस्यमयी बीमारी केंटकी से लेकर डेलावेयर और विसकॉन्सिन तक फैल चुकी है। क्योंकि इन सभी राज्यों से पक्षियों के रहस्यमयी बीमारी से सामूहिक मौत की खबरें आ रही हैं। या फिर पक्षी रहस्यमयी तरीके से बीमार हो रहे हैं।
वर्जिनिया के एनिमल वेलफेयर लीग ऑफ अर्लिंग्टन नाम की संस्था की प्रवक्ता चेलेसी जोन्स ने कहा कि मई महीने में हमें इस बात का अंदाजा लगा कि पक्षियों के बीच कुछ अनजान सी अनहोनी हो रही है। जब हमने मृत पक्षियों की जांच की तो पता चला कि उनकी पलकों के भीतर सफेद रंग का क्रस्ट जमा हो रहा है। जिसकी वजह से वह दृष्टिहीन हो जा रहे हैं। ज्यादातर पक्षियों को दिशाभ्रम, थकान और न उड़ पाने की समस्या आ रही है। इसका मतलब यह है कि इन पक्षियों को जिस बीमारी ने जकड़ा है, वह न्यूरोलॉजिकल यानी मानसिक है। बीमार या ज्यादातर मृत पक्षी युवा हैं।
चेलेसी जोन्स ने कहा कि हमने अब तक रहस्यमयी बीमारी से मरने वाले 300 पक्षियों का अंतिम संस्कार किया है। ये तो उन पक्षियों की बात हैं, जिनके बारे में हमें जानकारी है। इससे कई गुना ज्यादा पक्षी मारे गए होंगे, जिनके बारे में हमें पता नहीं है। इनमें से कई मृत पक्षियों को हमनें जांच के लिए वर्जिनिया डिपार्टमेंट ऑफ वाइल्डलाइफ रिसोर्सेज (डीडब्ल्यूआर) में जांच के लिए भेजा है। यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलवेनिया स्कूल ऑफ वेटरिनेरी मेडिसिन में टॉक्सिकोलॉजी की एसोसिएट प्रोफेसर लीजा मर्फी ने कहा कि अब तक की गई जांच में इन पक्षियों की मौत की वजह पता नहीं चल पाई है।