सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से 26 बारहसिंगा गायब

Updated on 17-08-2020 07:30 PM

 भोपाल । तकरीबन तीन साल पहले कान्हा टाइगर रिजर्व से लाकर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में बसाए गए 72 में से 26 बारहसिंगा गायब हैं, जिनकी मौत की आशंका जताई जा रही है। इस मामले में प्रदेश में पाए जाने वाले दुर्लभ हार्ड ग्राउंड बारहसिंगा की देखरेख में लापरवाही सामने आई है। इसे लेकर वन्यप्राणी विशेषज्ञ आरपी सिंह ने विस्तृत रिपोर्ट मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक को सौंपी है। इसके बाद हंगामा खड़ा हो गया है। आरपी सिंह और सतपुड़ा पार्क के संचालक एसके सिंह आमने-सामने आ गए हैं। वन्यप्राणी विशेषज्ञ ने रिपोर्ट में पार्क प्रबंधन पर बारहसिंगा की अनदेखी का आरोप लगाया है, तो संचालक ने पत्र लिखकर बताया है कि बारहसिंगा को खुले जंगल में छोड़ने के सभी नियमों का पालन किया है। बारहसिंगा की दुर्लभ प्रजाति चार साल पहले तक कान्हा टाइगर रिजर्व के फैन अभयारण्य में पाई जाती थी। इन्हें महामारी जैसे खतरे से बचाने के लिए सतपुड़ा टाइगर रिजर्व एवं वन विहार नेशनल पार्क में नए रहवास क्षेत्र विकसित किए गए। वर्ष 2015 से 2019 तक सतपुड़ा रिजर्व में 33 बारहसिंगा छोड़े गए, जिनकी संख्या बढ़कर 72 हो गई है। इनमें से 26 बारहसिंगा गायब हैं। दरअसल, शिफ्टिंग के समय यह तय हुआ था कि शुरुआत में बारहसिंगों को बाड़े में रखा जाएगा और जब संख्या बढ़ जाएगी, तो खुले जंगल में छोड़ा जाएगा। इसके लिए कान्हा पार्क के तत्कालीन संचालक खगेश्वर नायक की अध्यक्षता में समिति बनी थी और उसी ने गाइड लाइन तय की थी। तय कार्यक्रम के तहत 10 फरवरी 2019 को 26 बारहसिंगा पार्क के बोरी क्षेत्र में बाड़े से बाहर छोड़ दिए गए। वन्यप्राणी विशेषज्ञ सिंह का कहना है कि बारहसिंगों को छोड़ते हुए गाइडलाइन का पालन नहीं किया। जांच रिपोर्ट के बाद वन्यजीव मुख्यालय ने संचालक सतपुड़ा पार्क से जवाब मांग लिया है। वन्यप्राणी विशेषज्ञ ने दो जुलाई को सौंपी रिपोर्ट में जिक्र किया है कि बारहसिंगों को बोमा बाड़े (विशेष तरह के बाड़े) से बाहर निकालने से पहले समिति के अध्यक्ष व विशेषज्ञ से फोन पर बात करना भी उचित नहीं समझा। बाड़ा तैयार करने के विशेषज्ञ उप संचालक पीके वर्मा को भी इस कार्यवाही से अलग रखा। विशेषज्ञ ने लिखा है कि तपती दोपहरी में उन्हें बोमा बाड़े से बाहर छोड़ा गया है। अपने अनुभव के आधार पर उन्होंने बताया कि वे तनाव में रहे होंगे। शरीर का तापमान बढ़ा होगा। इस कारण वे जंगल में कई जगह मरे होंगे, जो खोजे नहीं जा सके। सिर्फ एक-दो की मौत बताई गई।उनका कहना है कि पूरी कार्यवाही में एक भी अनुभवी सदस्य नहीं था। बोमा में भी कई जगह ठूंठ थे, जिससे पैर टूटे और जख्मी हुए होंगे। इस बारे में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के संचालक एके सिंह का कहना है कि गाइड लाइन का पूरा पालन किया है। खुले जंगल में छोड़े जाने थे, जो छोड़े भी गए और खुले जंगल में बारहसिंगा लगातार दिखाई देंगे, यह कैसे कहा जा सकता है। वे स्वच्छंद हैं। यदि गिनना है तो उन्हें तलाशना पड़ेगा। वहीं भोपाल के वन प्राणी विशेषज्ञ आरपी सिंह का कहना है कि कान्हा टाइगर रिजर्व के पूर्व डायरेक्टर खगेश्वर नायक इसमें विशेषज्ञता रखते हैं। उनसे पूछना था। हमने पहले भी कुछ सलाह दी थी, उसे नहीं माना गया। तब दूसरी रिपोर्ट तैयार कर दी गई है।

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